शब्द का अर्थ
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धरण :
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पुं० [सं०√धृ+ल्युट्—अन] १. धारण करने की क्रिया या भाव। धारण। २. एक प्रकार की पुरानी तौल जो २४ रत्ती की, कहीं १ ६ मासे की और कहीं १॰. पल की कही गयी है। ३. जगत्। संसार। ४. सूर्य। ५. छाती। स्तन। ६. धान। ७.जलाशय का बाँध। ८. पुल। ९.एक नाग का नाम। स्त्री०=धरणी (पृथ्वी)।b |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धरणि :
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स्त्री० [सं०√धृ+अनि]=धरणी। |
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धरणि-धर :
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पुं० [ष० त०] धरणीधर। |
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धरणी :
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स्त्री० [सं० धरणि+ङीष्] १. पृथ्वी। २. नस। नाड़ी। ३. सेमल का पेड़। शाल्मली। ४. शहतीर। |
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धरणी-कंद :
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पुं० [मयू० स०] एक प्रकार का कंद जिसे बनकंद भी कहते हैं। |
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धरणी-कीलक :
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पुं० [ष० त०] पर्वत। पहाड़। |
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धरणी-धर :
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वि० [ष० त०] पृथ्वी को धारण करनेवाला। पुं० १. शेषनाग। २. कच्छप। कछुआ। ३. विष्णु। ४. शिव। पर्वत। पहाड़। |
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धरणी-पुत्र :
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पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर। |
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धरणीपूर :
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पुं० [सं० धरणी√फूर (पूर्ति)+अण्] समुद्र। |
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धरणीभृत् :
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पुं० [सं० धरणी+भृ (धारण)+क्विप्] १. शेषनाग। २. विष्णु। ३. पर्वत। पहाड़। ४. राजा। |
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धरणीय :
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वि० [सं० धृ+अनीयर] १. धारण किये जाने योग्य। २. जिसे पकड़कर सहारा ले सकें। |
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धरणीश्वर :
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पुं० [सं० धरणी-ईश्वर, ष० त०] १. शिव। २. विष्णु। ३. राजा। |
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धरणी-सुत :
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पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर राक्षस। |
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धरणी-सुता :
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स्त्री० [ष० त०] सीता। जानकी। |
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